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User: AkaRShaNduBeY
मुझको छोड़ने की वजह तो बता देते, मुझसे नाराज थे या मुझ जैसे हजारों थे.
अलफ़ाज़ नही बचे अब सबकुछ लिख चुका हूँ, शायद मोहब्बत के खातिर पूरी तरह बिक चुका हूँ.
खुश नसीब होते हैं वो लोग जिनके दोस्त कहते हैं, की परेशान मत हो मैं हूँ ना तुम्हारे साथ.
वक्त से पूँछकर बताना ज़रा, जख्म क्या वाकई भर जाता है.
बहोत ऐहसान है हम पे तुम्हारे, एक और कर देते होकर हमारे.
मजबूरियाँ थी उनकी और जुदा हम हुए तब भी कहती है वो कि बेवफा हम हुए.
इन होंठो की भी न जाने क्या मजबूरी होती है, वही बात छुपाते हैं जो कहनी जरुरी होती है!
हर फ़िक्र से आज़ाद होते थे और खुशियाँ इक़ट्ठी होती थीं, वो दिन भी थे, जब अपनी भी गर्मियों की छुट्टी होती थीं.
बहुत अलग सा है मेरे इश्क का हाल, तेरी एक खामोशी और मेरे लाखों सवाल.
बस अब मुर्दा समझ कर रो लो तुम कि अब जिंदा भी हूँ तो तेरे लिए नही.
शतरंज का एक नियम, बहुत ही उम्दा है कि. चाल कोई भी चलो पर, अपनों को नहीं मार सकते.